बथुआ की खेती करना बहुत ही आसान है और आप साल में 3 बार बथुवे की खेती कर सकते है। बथुआ को इंटरनेशनल मार्केट में क्विनवा या क्विनोआ (Quinoa) के नाम से जाना जाता है।
इंटरनेशनल मार्केट में बथुवे की मांग बहुत ज्यादा है क्योंकि विदेशों में क्विनोआ का प्रयोग सुपरफूड के रूप में किया जाता है। विदेशों में बथुवे की प्रति क्विंटल कीमत लाखों में होती है।
अगर आप बथुआ की खेती करना चाहते है और आपके पास पूर्ण जानकारी नहीं है तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे अगर आप का कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।
सफ़ेद बीज वाले क्विनोआ की खेती की जाती है। काले बीज वाला बथुआ, खरपतवार के रूप हर प्रकार की मिट्टी में पनपता है। अतः आप किसी भी मिटटी में बथुवे की खेती कर सकते है।
बथुआ को ट्रेक्टर से बुवाई कर सकते है या खाद के साथ मिला कर खेत में सीधे बिखेर कर भी कर सकते है।
इसका बीज खेत की मिट्टी में 1.5 सेमी से 2 सेमी तक गहरा लगाना चाहिए जब इसके पौधे 5,6 इंच के हो जाये तब पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 से 14 इंच बना लेनी चाहिए। अन्य पौधे को हटा देना चाहिए।
जब पौधे छोटे रहे तब खरपतवार को निकलवा देना चाहिए कीट और रोग प्रबंधन क्विनोआ के पौधे में कीटो और रोगों से लड़ने की बहुत ज्यादा क्षमता रहती है साथ ही पाले और सूखे को भी सहन कर सकते है।
अगर आप राजस्थान में रहते है तो आपके पास नीमच मंडी एक ऑप्शन है। नीमच मंडी में बथुआ की खरीद की जाती है लेकिन यहाँ पर क्विनोआ का प्रति क्विंटल भाव 12000 से 18000 तक रहता है।
क्विनोआ ग्रेन को लेकर आप अपना खुद का एक्सपोर्ट व्यपार शुरू कर सकते है। विदेशों में क्विनोआ ग्रेन डिमांड बहुत अधिक है। क्विनवा ग्रेन के लिए इंटरनेशनल मार्केट सिंगापुर, मलेसिया, पेरू, अमेरिका आदि है।
इंटरनेशनल मार्केट में बथुवे की मांग बहुत ज्यादा है क्योंकि विदेशों में क्विनोआ का प्रयोग सुपरफूड के रूप में किया जाता है। विदेशों में बथुवे की प्रति क्विंटल कीमत लाखों में होती है।
अगर आप बथुआ की खेती करना चाहते है और आपके पास पूर्ण जानकारी नहीं है तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे अगर आप का कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।
बथुआ की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी
क्विनवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है जिसका वनस्पति नाम चिनोपोडियम क्विनवा है ग्रामीण क्षेत्र में शब्द उच्चारण के कारण इसे किनोवा, क्विनोआ, केनवा आदि कई नाम से बताया जाता है। अधिक्तर क्षेत्र में काले बीज वाला बथुआ खरपतवार के रूप में गेहूं, चना, मेथी आदि के साथ उपजता है।सफ़ेद बीज वाले क्विनोआ की खेती की जाती है। काले बीज वाला बथुआ, खरपतवार के रूप हर प्रकार की मिट्टी में पनपता है। अतः आप किसी भी मिटटी में बथुवे की खेती कर सकते है।
बथुआ की बुवाई कब करें
क्विनोआ की बुवाई के समय हल्की ठण्ड होनी चाहिये अतः अक्तूबर,नवम्बर या फरवरी, मार्च और कई जगह जून-जुलाई में भी बथुआ की बुवाई की जाती है | इसका बीज बहुत ही महीन होता है इसलिए प्रति बीघे में 400 से 600 ग्राम मात्रा पर्याप्त होती है।बथुआ को ट्रेक्टर से बुवाई कर सकते है या खाद के साथ मिला कर खेत में सीधे बिखेर कर भी कर सकते है।
इसका बीज खेत की मिट्टी में 1.5 सेमी से 2 सेमी तक गहरा लगाना चाहिए जब इसके पौधे 5,6 इंच के हो जाये तब पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 से 14 इंच बना लेनी चाहिए। अन्य पौधे को हटा देना चाहिए।
सिंचाई और खरपतवार
बथुवे की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती क़्योंकि यह एक तरह का खरपतवार है। फसल लगाने से काटने तक 3 से 4 बार पानी देना पर्याप्त रहता है।जब पौधे छोटे रहे तब खरपतवार को निकलवा देना चाहिए कीट और रोग प्रबंधन क्विनोआ के पौधे में कीटो और रोगों से लड़ने की बहुत ज्यादा क्षमता रहती है साथ ही पाले और सूखे को भी सहन कर सकते है।
फसल की कटाई और कढ़ाई
बथुआ की फसल 100 दिनों में तैयार हो जाती है। अच्छी विकसित फसल की ऊंचाई 4 से 6 फिट तक होती है इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर मशीन में आसानी से निकाल सकते है बीज को निकालने के बाद कुछ दिनों तक धुप की आवश्यक होती है। क्विनोआ का प्रति बीघा उत्पादन 3 से 8 क्विंटल तक होता है।क्विनवा को बेचने के लिए मार्केट
किसान भाई अधिक मुनाफा और अधिक पैदावार होने के बाद भी बथुआ की खेती नहीं करते क़्योंकि हमारे आस पास क्विनोआ की खरीद के लिए कोई मार्केट नहीं है और यही कारण है की किसानो को इसकी खेती की जानकारी नहीं है।अगर आप राजस्थान में रहते है तो आपके पास नीमच मंडी एक ऑप्शन है। नीमच मंडी में बथुआ की खरीद की जाती है लेकिन यहाँ पर क्विनोआ का प्रति क्विंटल भाव 12000 से 18000 तक रहता है।
क्विनोआ ग्रेन को लेकर आप अपना खुद का एक्सपोर्ट व्यपार शुरू कर सकते है। विदेशों में क्विनोआ ग्रेन डिमांड बहुत अधिक है। क्विनवा ग्रेन के लिए इंटरनेशनल मार्केट सिंगापुर, मलेसिया, पेरू, अमेरिका आदि है।
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